125+ ढलती शाम शायरी | Dhalti Shaam Shayari

दिन ढलते ही जब सूरज अपनी सुनहरी किरणों को अलविदा कहने लगता है, तो दिल को एक अलग सुकून और एहसास मिलता है। ढलती शाम शायरी उन पलों का जिक्र करती है, जब आसमान लालिमा से भर जाता है और हवाओं में ठंडक घुलने लगती है। इस समय का जादू दिल को रोमांटिक भी कर देता है और कभी-कभी अकेलापन भी महसूस कराता है। यही वजह है कि शायरों ने ढलती शाम को अपने अल्फाज़ों में एक खास जगह दी है।

ढलती शाम शायरी सिर्फ खूबसूरत नज़ारों की नहीं, बल्कि दिल के एहसासों की भी दास्तान होती है। कोई इस शाम में मोहब्बत का रंग ढूंढता है, तो कोई जुदाई की कसक महसूस करता है। यह पल इंसान को सोचने, यादें ताज़ा करने और दिल के जज़्बात बयां करने पर मजबूर कर देता है। अगर आप भी ढलती शाम के इस हसीन माहौल को शब्दों में महसूस करना चाहते हैं, तो ढलती शाम शायरी आपके दिल की धड़कनों को और गहरा बना देगी।

ढलती शाम शायरी

ढलती शाम का नज़ारा भी कितना सुहाना होता है,
तेरी यादों का साया इसमें और भी प्यारा होता है।

ढलती शाम का रंग बड़ा निराला है,
इसमें छुपा मेरा तेरे लिए प्यारा हवाला है।

शाम ढले जब भी तेरा ख्याल आता है,
दिल का हर दर्द जैसे मुस्कुराता है।

वो शामें याद हैं जब तेरा साथ मिला था,
दिल का हर कोना मोहब्बत से खिला था।

ढलती शाम की तन्हाई कुछ कहती है,
तेरी यादों की परछाई संग रहती है।

शाम की ठंडी हवा तुझे छूकर आती है,
हर सांस में तेरी खुशबू समा जाती है।

हर शाम उदास कर जाती है,
तेरी जुदाई की याद दिला जाती है।

ढलती धूप ने दिल को सता दिया,
तेरे बिना हर लम्हे ने रुला दिया।

शाम होते ही दर्द गहराने लगता है,
तेरा नाम जुबां पर आने लगता है।

ढलती शाम में तन्हा बैठा हूँ मैं,
तेरी यादों के साये में उलझा हूँ मैं।

खूबसूरत शाम शायरी

ढलती शाम तेरा नाम ले आई,
मोहब्बत की महक दिल में भर लाई।

जब शाम तेरे बिना ढलती है,
तो रूह में एक कसक पलती है।

तेरा हाथ थामकर शाम गुज़ारना चाहता हूँ,
हर लम्हा तुझ पर निसारना चाहता हूँ।

ढलती शाम में तेरा इंतजार करता हूँ,
तेरी हंसी पर ही तो मैं प्यार करता हूँ।

शाम का रंग तुझसे ही प्यारा है,
तेरा होना ही दिल का सहारा है।

जिंदगी भी कुछ शाम जैसी है,
ढलते-ढलते बहुत कुछ कह जाती है।

ढलती शाम सिखा देती है,
कि हर चमक एक दिन बुझ जाती है।

शाम कहती है वक्त कभी नहीं ठहरता,
जो आज है, वो कल नज़र नहीं आता।

ढलती रोशनी में छुपे हैं सबक हजार,
जीवन का यही है सबसे बड़ा उपहार।

शाम ढले तो समझ लेना,
जिंदगी का एक पन्ना और बदल जाना।

गांव की शाम शायरी

गांव की शाम का नज़ारा बड़ा प्यारा लगता है,
मिट्टी की खुशबू में सारा संसार बसता है।

ढलती शाम में जब बैल लौटकर आते हैं,
गांव के आँगन में गीत खुशी के गाए जाते हैं।

गांव की शाम में चूल्हे की खुशबू घुल जाती है,
हर थका हुआ दिल भी ताज़गी पा जाता है।

सूरज ढलते ही गांव का सन्नाटा गाता है,
जैसे हर कोना एक नई कहानी सुनाता है।

गांव की शाम में चाय का स्वाद निराला होता है,
अपनापन हर दिल में दुबाला होता है।

कच्ची गलियों में शाम की ठंडी हवा बहती है,
हर थकी आत्मा को गहरी राहत देती है।

गांव की शाम का रंग कभी फीका नहीं पड़ता,
यहां हर कोई अपनेपन में ही बढ़ता।

चौपाल पर बैठकर गप्पों का सिलसिला चलता है,
गांव की शाम का हर लम्हा सुनहरा लगता है।

ढलते सूरज के साथ जब घर लौटते हैं किसान,
गांव की शाम बन जाती है सबसे हसीन पहचान।

गांव की शाम में रिश्तों का असली स्वाद मिलता है,
यही तो सुकून है, जो शहरों में कम दिखता है।

सुरमई शाम शायरी

हर शाम तेरे बिना उदास कर जाती है,
मेरी रूह को चुपके-चुपके रुला जाती है।

ढलती शाम में जब भी तन्हा बैठा हूँ,
तेरे ख्वाबों के साए में उलझा रहता हूँ।

शाम ढले आंसू भी ढल जाते हैं,
तेरे बिना लम्हे भी रुक जाते हैं।

ढलती रोशनी ने दिल को सुना दिया,
तेरी जुदाई का ग़म और बढ़ा दिया।

हर ढलती शाम तेरा पैगाम लाती है,
तेरी मोहब्बत को और गहरा बनाती है।

ढलती शाम तेरे इश्क़ की याद दिलाती है,
हर सांस को तेरे नाम से सजाती है।

जब शाम तेरे साथ ढलती है,
हर लम्हा मोहब्बत से खिलती है।

ढलते सूरज में तेरा नूर बसता है,
हर रंग में तेरा ही चेहरा दिखता है।

शाम की लाली तेरी मुस्कान जैसी है,
दिल की प्यास तेरे जाम जैसी है।

ढलती शाम की हर किरण ये कहती है,
तू ही मेरी मोहब्बत का सबब रहती है।

रंगीन शाम शायरी

ढलती शाम का जादू अद्भुत है,
जैसे तेरी आँखों का नूर मोहब्बत है।

शाम के साये तेरे ख्याल से रौशन हैं,
ये लम्हे तेरे बिना भी कितने मौन हैं।

ढलती धूप ने आसमान रंगीन कर दिया,
तेरी याद ने दिल को यकीन कर दिया।

शाम की हल्की सी ठंडक कहती है,
तेरा होना ही मेरी चाहत कहती है।

ढलती शाम में एक दुआ निकलती है,
तेरा हाथ सदा मेरे हाथ में दिखती है।

ढलती शाम का हर रंग तुझसे जुड़ा है,
तेरे बिना दिल का हर कोना सूना पड़ा है।

शाम ढलते ही दिल को बेचैनी घेर लेती है,
तेरी याद हर सांस में तस्वीर उकेर लेती है।

ढलते सूरज ने मुझे ये सिखा दिया,
जुदाई में भी प्यार को निभा लिया।

शाम की ठंडी हवा तेरी याद दिलाती है,
मेरी तन्हाई में भी तेरा चेहरा सजाती है।

ढलती शाम का सन्नाटा गहरा होता है,
जैसे बिना तेरे दिल अधूरा होता है।

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि ढलती शाम शायरी जरूर पसंद आया होगा। ढलती शाम का हर रंग, हर एहसास, दिल को एक अलग सुकून और गहराई देता है। कोई इसमें मोहब्बत ढूंढता है, तो कोई जुदाई की कसक महसूस करता है। यही वजह है कि शायरों ने हमेशा शाम के इन लम्हों को अपने अल्फाज़ों में पिरोया है। अगर आप भी अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करना चाहते हैं, तो यह संग्रह आपके लिए खास साबित होगा।

आख़िर में हम यही कहेंगे कि ढलती शाम शायरी का जादू हमेशा दिल को छूता है और हर किसी की जिंदगी में एक अनोखी मिठास भर देता है।

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